दार्शनिकता व मर्यादा

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Babaji's divine role appears to be to restore living faith in Sri Guru Granth Sahib, to restore Guru Drishti and Guru Bhavna in Sri Guru Granth Sahib, to raise and elevate it as it were, to Nirankar Drishti and Nirankar Bhavna.

बाबा जी ने अद्भुत मर्यादा, एक नये मार्ग, एक अलग साधना तथा परम्परा का प्रारम्भ किया। देवदूत सदैव निराला मार्ग स्थापित किया करते हैं।

बाबा नंद सिंह जी का समूचा जीवन असीमित और अनुपम प्रेम की ही गाथा है। इसी से उन्होंने एक अछूती एवं पवित्र भव्यता की मर्यादा स्थापित की। यह मर्यादा थी- आदि गुरु ग्रंथ साहिब को सप्रमाण गुरु नानक जी के रूप में प्रेम करना एवं उसकी पूजा करना।

गुरु नानक साहिब के प्रति बाबा नंद सिंह जी महाराज की असीमित श्रद्धा तथा सिख जीवन-मार्ग में विस्मयकारी तेजस्वी व आध्यात्मिक आनंद पैदा करने वाली मर्यादा से रूहानी स्नेह चमकता है। यह मर्यादा या पूजा की विधि स्पष्टतः दिव्य योजना को प्रकट करती है। उनके अवतरण की गाथा को स्पष्ट करती है। उनका अपना जीवन श्री गुरु ग्रंथ साहिब की रूहानी श्रेष्ठता का अद्भुत प्रकाशन है।

बाबा नंद सिंह जी के गुरु नानक चिरजीवी हैं, शाश्वत हैं। वह अपने तथा श्रद्धालुओं, सेवकों और सच्चे भक्तों की पूजा-अर्चना प्रत्यक्ष रूप से स्वीकार करते हैं।

बारह वर्षों की निरंतर घोर तपस्या तथा आत्म-रस में लीन तपस्या के कारण उन के रूहानी गुरु बाबा हरनाम सिंह जी महाराज ने बाबा नंद सिंह जी महाराज को श्री गुरु नानक साहिब के प्रत्यक्ष दर्शन कराने की कृपा की थी। जब बाबा नंद सिंह जी महाराज ने अपने पवित्र हृदय के देवालय में श्री गुरु नानक साहिब की आभा को बसा लिया तो बाबा हरनाम सिंह जी महाराज ने बाबा नंद सिंह जी महाराज को अपनी उच्च रूहानी अवस्था, कृपा, इलाही शान तथा सामथ्र्य से भरपूर कर दिया था।

बाबा हरनाम सिंह जी महाराज स्वयं महाप्रकाश, दैवी ज्योति व अमर पद को प्राप्त थे। वह महाप्रकाश सबसे बड़े सतगुर, गुरु नानक साहिब में लीन थे। इस प्रकाश के समक्ष सहस्त्रों सूर्यों की रोशनी मद्धम पड़ जाती है। इसीलिए बाबा हरनाम सिंह जी महाराज ने बाबा नंद सिंह जी को अपने हृदय में गुरु नानक साहिब को जाग्रत-स्वरूप का ध्यान धारण करने के लिए कहा। इन अति पवित्र क्षणों में बाबा हरनाम सिंह जी महाराज ने सम्पूर्ण ईश्वरीय आभा बाबा नंद सिंह जी महाराज को प्रदान कर दी थी। बाबा नंद सिंह जी महाराज का तन-मन रूहानियत से आलोकित हो गया था तथा उन का रोम-रोम प्रभु के यश का गायन कर रहा था।

इस विश्व में अमृत-नाम की सुगन्ध की वर्षा करने वाले तथा प्रभु-कृपा व शक्तियों सहित आने वाले महापुरुष बहुत ही दुर्लभ होते हैं। श्री गुरु नानक साहिब के प्रभु-प्रकाश को प्राप्त बाबा नंद सिंह जी महाराज कृतज्ञता से अपने रूहानी स्वामी के चरणों पर गिर पड़े।

बाबा हरनाम सिंह जी महाराज ने बाबा नंद सिंह जी को गुरु नानक जी और गुरु ग्रंथ साहिब के दिव्य एवं शाश्वत प्रकाश की शान को चारों ओर पैफलाने का निर्देश दिया।

बाबा जी ने गुरु ग्रंथ साहब की गुप्त शान को जिस प्रकार से उद्घाटित किया और गुरु नानक साहिब की दिव्य प्रभा को जिस ढंग से अनावृत किया, वह अनूठा था।

बाबा नंद सिंह जी महाराज ने उच्च ज्योति-स्तम्भ बनकर इस प्रकाश के दर्शन कराए, जिससे आज असंख्य लोग गुरु ग्रंथ साहिब की सेवा एवं अर्चना करते हैं।

श्री गुरु ग्रंथ साहिब की कृपा उमड़ती धारा की तरह प्रवाहित हुई तो गुरु ग्रंथ साहिब के आशीर्वाद को प्राप्त करने के लिए लाखों लोग उमड़ पड़े। ये सभी लोग एक अदम्य और दिव्य प्रवाह से खिंचे आ रहे थे। यह बाबा नंद सिंह जी महाराज की रूहानी महिमा थी।

श्री गुरु ग्रंथ साहिब के कीर्तन को दिनचर्या का नित्य नियम बना दिया गया। अपने पारलौकिक प्रेम की प्यास को बुझाने के लिए जिज्ञासुओं के जीवन में यह मर्यादा एक पवित्र नियम बन गई।

बाबा जी का दिव्य मनोरथ श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी को प्रत्यक्ष गुरु मानने का प्रचार करना, श्री गुरु ग्रंथ साहिब की सच्ची ‘गुरु दृष्टि’ और “गुरु भावना’ से सेवा करना था। यह उस विश्वास की पुनस्र्थापना का प्रयास था, जो तीव्र भावावेग के साथ हमारे पूर्वजों में गुरु नानक साहिब और सत्य को मूत्र्त करने वाले उनके अनुयायी गुरुओं में विद्यमान था। उन्होंने पवित्र श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी की समूची अमृत वाणी की उपयोगिता तथा प्रामाणिकता के विश्वास में वृद्धि की थी। श्री गुरु नानक साहिब जी व श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी की आत्मिक एकरूपता की पूर्ण पहचान के मार्ग को और भी अधिक प्रशस्त किया था।

उन्होंने लाखों भक्तों को श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी के चरण-कमलों से जोड़ा तथा श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी के पूर्ण सत्कार, आदर तथा श्रद्धा में वृद्धि को फिर पैदा किया। उन्होंने लाखों भूली-भटकी आत्माओं को श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी से जोड़ा तथा उनको भ्रांति से खौलते इस संसार में डूबने से बचाया।