सदैव रक्षक बाबा नंद सिंह जी महाराज

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Though he had physically disappeared in 1943 but He as the Eternal Mother and Father had looked after all His children during the catastrophe of 1947. Not even one of His devotees suffered slightest bruise during migration. No one died an unnatural death. So wonderful is the eternal presence of Baba Nand Singh Ji Maharaj of Kaleran.

माता जी की गोदी में पड़े बच्चे को कभी असुविधा या कष्ट नहीं होता, उसको कोई भूख नहीं लगती। बच्चा सुख व आराम की निद्रावस्था में होता है। बच्चा जिस भी स्थान पर हो, माँ उस के कष्टों के निवारण में सहायक होती है। वह अपने बच्चे को दुःख या कष्ट नहीं होने देती। अगर सांसारिक माँ अपने बच्चे के लिए इतना बलिदान कर सकती है तो हमारा सच्चा माता-पिता प्रभु अपने प्रिय बच्चों की कितनी देखभाल करता होगा। इस का अहसास उसी को है जिन्हों ने बाबा नंद सिंह जी महाराज की रूहानी गोद का आनंद प्राप्त किया हुआ है।

बाबा नंद सिंह जी महाराज इस बड़े रूहानी परिवार के सभी बच्चों के सदस्यों की माँ-बाप की तरह देख-भाल व रक्षा करते हैं। (जिस प्रकार सन् 1947 में भारत-पाक बटँवारे के समय अदला-बदली में हुआ था)। आज भी उन की महिमा का यशोगान होता है। जो भी उन के आश्रय में एक बार पहुँच गया था, बाबा जी उस का माँ-बाप की तरह ध्यान रखते थे। बाबा जी उनकी मनोकामनाएँ पूरी करते तथा प्रत्येक संकट के समय उनकी रक्षा करते थे।

सतिगुरु मेरा सदा सदा ना आवै ना जाइ।।
ओहु अबिनासी पुरखु है सभ महि रहिआ समाइ।।

बाबा जी सन् 1943 में दैहिक रूप में अलोप हो गए थे, फिर भी सन् 1947 की विपत्ति में उन्होंने माता-पिता की तरह अपने सभी बच्चों की रक्षा की थी। इस परिवर्तन में उन के किसी सेवक को लेश मात्रा भी चोट नहीं लगी। कोई भी अप्राकृतिक मृत्यु से नहीं मरा था। बाबा नंद सिंह जी महाराज कलेराँ वाले की सदैव उपस्थिति धन्य है। धन्य-धन्य बाबा नंद सिंह जी महाराज! वे सदा प्रत्यक्ष रूप में उपस्थित हैं।